
आदिवासी समुदाय के संदर्भ में आइये देखते है कि – क्या हिन्दू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम आदिवासी समुदाय के सदस्यों पर लगाया जा सकता है़?
क्या इस अधिनियम के अनुसार आदिवासी को हिन्दु धर्म में गिना जा सकता है ?
क्या आदिवासी समुदाय के पारिवारिक विवादों में भरण पोषण का वाद दायर किया जा सकता है ?
आईये इन सवालों का जबाव इस एक्ट में ढुढ़ने का प्रयास करते है।
हिन्दू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 में हिन्दु व्ययस्क के द्वारा बच्चों को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया और एक हिन्दु व्यक्ति के कानूनी दायित्वों के साथ अपनी पत्नी, माता-पिता और ससुराल सहित परिवार के विभिन्न सदस्यों को रख-रखाव प्रदान करने हेतु कानूनी संरक्षण एवं प्रावधान प्रदान करता है।
अब एक सीधा सा प्रश्न उठता है कि हिन्दू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 अधिनियम जो कि हिन्दुओं पर तो लागु पड़ता है, लेकिन अनुसूचित जनजातियों आदिवासियों समुदाय पर लागु नही है।
क्यों लागु नहीं होता है?
क्योंकि अनुसूचित जनजाति आदिवासी समुदाय के लोग हिन्दु नहीं है।
इसलिये इस अधिनियम के प्रावधान अनुसूचित जनजातियों – आदिवासियों समुदाय पर लागु नही किये जा सकते है।