
भील का भारत एक बड़ा आदिवासी समुदाय है, जो मुख्य रुप से आज राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ, गुजरात, कनार्टक और आन्धप्रदेश में रहता है।
दोस्तों, ये आर्टिकल इसी के बारे में है कि भीलों की #भीली कहां गायब हो गई ?
राजस्थान में रहने वाला भीलों को पूछो तो अपनी बोली वागड़ी/मेवाडी/मारवाडी बताता है।
महाराष्ट्र के भीलों को पूछो जो मराठी बताते है। गुजरात के भीलों को पूछो तो गुजराती को अपनी भाषा बताते है। ऐसे ही कनार्टक का भील अपनी भाषा कन्नड़ को बताता है। वही आन्ध्र प्रदेश का भील तेलुगु को अपनी भाषा कहता है।
कोई भी भील अपनी भाषा भीली नहीं बता पाता है।
सबसे बड़ा प्रश्न ये उठता है कि आखिर भारत के इतने बड़े आदिवासी समुदाय भीलों की भीली कहां गायब हो गई ? भारत के प्रत्येक राज्य में भील रहते है, लेकिन इनकी मातृभाषा भीली गायब हो गई है।
आखिर क्या कारण है, इतनी पुरानी और बडी जनसख्या होने के बाद भी भीली को कही मान्यता नहीं मिल पा रही है।
आज का युथ क्यों अपनी भीली बोली छोड कर अन्य बोलि बोलने लगा है?
क्या होगा अगर अपनी माृत बोली छोड दी तो ?
आईये इन सवालों का जबाव इस वीडियों ढुढ़ने का प्रयास करते है।
भीलों की भीली कहां गई ?
इस सवाल का जबाब ढुढ़ते है इतिहास में
दोस्तों ये जो आप देख रहे है ये है
Liguistic Survey Of India Vol IX Part III – The Bhil Languages
इसमें भीली के बारें में विस्तार से बताया गया है।
भील लोग जो बोली बोलते है। भीलों की जो भाषा है – वो है भीली।
Liguistic Survey Of India के लेखक है George A. Grierson
यह कलकत्ता के Govt. Printing Press में सन् 1907 में प्रिन्ट हुई थी।
इस सरकारी दस्तावेज में भील डायलेक्ट मतलब भीली बोली के बारे में बताया गया है।
आईये इस इतिहास में देखते है भीली कहां कहां बोली जाती थी?
भारत के किन किन इलाकों में भीली बोलने वाले लोग रहते थे?
यह जो मैप आप देख रहे है
इस मैप में भीली और खंदेशी बोली बोलने वालों की स्थिती बताई गई है। यह हिस्सा आज के भारत के मैप में उत्तर में राजस्थान के अजमेर से लेकर दक्षिण में महाराष्ट के बोम्ब तक फैला हुआ था और पश्चिम में गुजरात के बडौदा से लेकर पूर्व में आज के मध्यप्रदेश के भोपाल तक फैला विस्तार में है।
मतलब इतने बडे एरिया में भीली बोलने वाले यानि की भील लोग रहा करते थे।
अगर भीली बोलने वाले लोगों की संख्या की बात की जाये तो
26 लाख 89 हजार 109 लोग सरकार आकड़ों के अनुसार भीली बोलते थे।
सरकारी आकड़े गौर से देखे तो-पूरें भारत में 1907 के रिकार्ड के अनुसार भीली बोलने वाले 26,89,109 भील थे।1971 के अनुसार 33,99,285 का रिकार्ड है। 1981 में भीली बोलने वाले 42,93,314 लोग है।1991 में यह संख्या बढकर 55,72,308 हो जाती है।2001 तक आते आते भीली बोलने वाले 95,82,957 हो जाते है।
वही ये आकडा 2011 की जनगणना तक 1 करोड से ऊपर पहुंच कर 1,04,13,637 के पार पहुंच जाता है।
1 करोड 5 लाख की आबादी जो कि भीली बोलती है। उसकों संविधान में या किसी ना किसी सरकारी दस्तावेजों में भाषा के रुप मे मान्यता जो जरुर दी गई होगी।
आईये देखते है भीली को कहां पर मान्यता दी गई है ?
दोस्तों यह आठवी अनुसूची में शामिल भाषाओं की सूची है। इसमें
(1) Assamese,
(2) Bengali,
(3) Gujarati,
(4) Hindi,
(5) Kannada,
(6) Kashmiri,
(7) Konkani,
(8) Malayalam,
(9) Manipuri,
(10) Marathi,
(11) Nepali,
(12) Oriya,
(13) Punjabi,
(14) Sanskrit,
(15) Sindhi,
(16) Tamil,
(17) Telugu,
(18) Urdu
(19) Bodo,
(20) Santhali,
(21) Maithili
(22) Dogri
अगर इन 22 संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल भाषाओं को बोलने वालों लोगों की संख्या पर गौर किया जाये तो दोस्तों बड़े ही चैकाने वाले रेकार्ड देखने को मिलते है।
बोडो बोलने वाले लोग 14,82,929 है, वही डोगरी बोलने वाले 25,96,767 है।
संस्कृत बोलने वाले मात्र 24,821 है तो नेपाली बोलने वालों की संख्या 29,26,168 है।
ये सभी भाषाऐं भीली बोलने वालों से कम है। भीली बोलने वाले 1 करोड 4 लाख से ज्यादा है। फिर भी भीली को संविधान में मान्यता नही दी गई है।
यहां तक की अन्य देश नेपाल की भाषा तक को संविधान में शामिल किया गया है, लेकिन 1 करोड लोगों की भाषा भीली को नहीं किया गया है।
भील एक सवाल पुछना चाहता है –
क्यों शामिल नहीं किया है मेरी भाषा को?
मेरी भीली को।
2011 के जनगणना में कितने लोग थे भीली बोलने वाले ?
भारत मैप पर भीली बोलने वालों की संख्या की अगर बात की जाये तो आकडें इस प्रकार हैं
Jammu & Kashmir | 988 |
Himachal Pradesh | 106 |
Punjab | 1920 |
Chandigarh | 2 |
Uttarakhand | 2001 |
Haryana | 1121 |
Delhi | 304 |
Rajasthan | 3592208 |
Uttar Pradesh | 1283 |
Bihar | 1448 |
Arunachal Pradesh | 8 |
Nagaland | 20 |
Manipur | 2 |
Mizoram | 17 |
Tripura | 397 |
Meghalaya | 13 |
Assam | 3038 |
West Bengal | 689 |
Jharkhand | 416 |
Odisha | 1213 |
Chhattisgarh | 936 |
Madhya Pradesh | 3587810 |
Gujarat | 825942 |
Daman & Diu | 518 |
Dadra & Nagar Haveli | 128078 |
Maharashtra | 2247678 |
Andhra Pradesh | 5329 |
Karnataka | 2621 |
Goa | 2665 |
Kerala | 3458 |
Tamil Nadu | 1405 |
Andaman & Nicobar Islands | 3 |
सिक्किम राज्य में कोई भी भीली बोलने वाला व्यक्ति नहीं रहता है।
राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, दादरा और नागर हवेली, इन राज्यों में सबसे ज्यादा भीली बोलने वाले लोग रहते है।
दोस्तों ये वही ईलाका है, जिसें Liguistic Survey Of India 1907 में खानदेश कहा गया है।
यहां 1907 की सर्वे तक 39,42,175 भील बोलने वाले लोग रहते थे। वहीं आज देश में 2011 के सर्वे तक भीली बोलने वाले लोग 1,04,13,637 है।
आखिर क्या कारण है, इतनी पुरानी और बडी जनसख्या होने के बाद भी भीली का कही नामों निशान नही है।
भीली को कही मान्यता नहीं मिल पा रही है।
आज का युथ क्यों अपनी भीली बोली छोड कर अन्य बोलि बोलने लगा है? यहां तक की उनको यह भी नही पता होता है कि वो जो बोली बोल रहे है, उसका नाम भीली है।
क्या होगा अगर अपनी माृत बोली छोड दी तो ?
आज विश्व में कुल 2,796 भाषाएँ और 400 लिपियाँ मान्यता प्राप्त हैं।
भाषा किसी भी समाज की एक अर्जित सम्पत्ति होती है।
भाषा संस्कति का मुख्य आधार है। किसी समाज की भाषा उस समाज के सदस्यों के मध्य विचारों के आदान प्रदान करने का मुख्य साधन होती है। आपस में बातचीत करने से लेकर समाज के सभी कामों में भाषा की आवश्यकता पड़ती है।
भाषा बोली से हम अपनी संस्कृति कल्चर परम्पराओं से जुडे रहते है। जैसे ही व्यक्ति की भाषा बदलती है। उसका पुरा का पुरा कल्चर ही बदल जाता है।
भीली में बोले जाने वाले मुहावरे, लोकोक्तियां, कहानियां, किस्सें, इतिहास सब बदल जाता है। और
जिस सभ्यता की भाषा और इतिहास खत्म हो जाता है, उस सभ्यता को खत्म होने में ज्यादा वक्त नही लगता है।
लोकुर कमिटी में किसी जाति को जनजाति मंे शामिल करने का आधार विशिष्ठ बोली और संस्कृति ही है।
अगर आपकी बोली और संस्कृति खत्म तो आपका संवैधानिक हक भी खत्म हो जाता है।
आपको एस.टी से बाहर किया जा सकता है।
अंत में निष्कर्ष रुप में यही कहना चाहता हुं कि अगर भीली संस्कृति बचाये रखनी है, तो भीली भाषा और बोली बचा कर रखनी होगी।